शब्द और भाषा
भाषा की न्यूनतम इकाई वाक्य है और वाक्य की न्यूनतम इकाई शब्द है | वर्णो अथवा अक्षरों का ऐसा समूह जिसका कोई अर्थ हो “शब्द ” कहलाता है | दूसरे अर्थ में कहें तो एक या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि ही “शब्द ” है | प्रत्येक शब्द से जो अर्थ निकलता है , वह अर्थ–बोध कराने वाली शब्द की ही शक्ति है | भारतीय संस्कृति में इसलिए शब्द को ब्रह्म कहा गया है |
इसी प्रकार भाषा व्यक्त नाद की वह समष्टि है जिसकी सहायता से किसी समाज या देश के लोग अपने मनोगत भाव तथा विचार प्रकट करते है|भाषा अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है | यह हमारे व्यक्तित्व निर्माण, विकास और हमारी अस्मिता एवं सांस्कृतिक पहचान का साधन भी है | भाषा के बिना मनुष्य सर्वथा अपूर्ण है और अपने इतिहास तथा परंपरा से पूर्णतया विच्छिन्न है | भाषा का सम्बन्ध एक व्यक्ति से लेकर विश्व – सृष्टि तक है | व्यक्ति और समाज के मध्य में आने वाली इस परम्परा से अर्जित संपत्ति के अनेक रूप है |भाषा की सम्पदा के सदुपयोग का सबसे सुदृढ़ प्रमाण है, ज्ञानार्जन | भाषा के बिना की सम्भावना क्षीण है |
भाषा मे ही किसी राष्ट्र का प्राचीन साहित्य सुरक्षित रहता है | जिसके अध्ययन से तत्कालीन सामाजिक–सांस्कृतिक जीवन, ज्ञान–विज्ञान और कला आदि का परिचय जन – मानस को मिलता है | प्राचीन भारतीय साहित्य, संस्कृत एवं हिंदी भाषा में ही है | भारतीय संस्कृति व ज्ञान– विज्ञान के परिचायक एवं मूल स्रोत – वेद, उपनिषद , पुराण , रामायण , गीता, षट्दर्शन , मन्त्र संहिताए, तंत्र शास्त्र एवं मन्त्र शास्त्र आदि ग्रन्थ हिंदी एवं संस्कृत में ही मूल रूप से संरक्षित है |
अगाध साहित्य, अपार शब्द भंडार, नवीन शब्द रचना की शक्ति और लालित्यपूर्ण अभिव्यंजना क्षमता जैसे विशेष गुणो के कारण संस्कृत एवं हिंदी का विश्व में बहुत महत्व है | यह भारतीय दैनिक जीवन के धार्मिक विधि–विधानों और संस्कारो की भाषाएं है | इन भाषाओ का सदुपयोग , संरक्षण एवं सम्मान प्रत्येक भारतीय का कर्त्तव्य है |
हिंदी–संस्कृत की अनेको ज्ञानवर्द्धक पुस्तकों के पठन-पाठन एवं वितरण से हम अपनी मातृभाषा, संस्कृति एवं ज्ञान को सुरक्षित व संवर्धित कर सकते है |