Randhir Prakashan
रणधीर प्रकाशन
भारतीय हिन्दी ज्ञान साहित्य हमारे पूर्वज, ऋषि-मनीषियों की विलक्षण मेधा से मिला वरदान है। हमारा प्रकाशन संस्थान “रणधीर प्रकाशन ” पिछले लगभग 40 वर्षो से निरंतर हिन्दी पुस्तकों का प्रकाशन कर रहा है। अत्यन्त अल्प साधनों एवं सामान्य पुस्तकों के प्रकाशन से हुई यह शुरुआत आज हमारे पाठकों के प्रेम से एक विशाल अभियान मे परिवर्तित हो चुकी है। पिछले चार दशको से निरंतर हम धार्मिक,पूजा-पाठ, गीता, रामायण, पुराण, तंत्र-मंत्र, कर्मकाण्ड, योग एवं ज्योतिष की लगभग 1000 पुस्तकें प्रकाशित कर रहे हैं. भारतीय हिन्दी ज्ञान-साहित्य की अप्राप्य, दुर्लभ पुस्तकों को सरल भाषा में उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना ही हमारे संस्थान का परम उदेश्य है।
हमारे प्रकाशन अभियान की सफलता इस बात पर निर्भर है कि पाठक और जिज्ञासु पुस्तकों द्वारा अर्जित ज्ञान का स्वयं की कल्पनाशील गतिविधियो और प्रश्नों की सहायता से मनन – चिंतन के दौरान निजी जीवन मे कितना अनुसरण करते है। हमारे प्रकाशन संस्थान की मान्यता है कि यदि स्वतंत्रता दी जाए तो ऋषि-मुनियो ,तांत्रिको द्वारा उपलब्ध ज्ञान सामग्री से जुड़कर और जूझकर नए ज्ञान का सृजन किया जा सकता है।
हमारे प्रकाशन द्वारा प्रकाशित दुर्लभ, गोप्य एवं अप्राप्य ग्रंथ इस बात का प्रमाण है कि किसी भी ज्ञान को एक सुदृढ़ प्राचीर से आवृत्त कर देने और भारतीय प्राचीन ज्ञान को लुप्त रखने की प्रवृत्ति का हम समर्थन नहीं करते।
रणधीर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ज्ञान साहित्य की पुस्तकों का मूल्यांकन इस तथ्य से भी प्रमाणित होगा कि यह ज्ञान-गंगा नयी और पुरानी पीढी के मानसिक दबाव और कठिनता को दूर करके जीवन को सरल और समृद्ध बनाने मे कितना प्रभावी सिद्ध हुई है।
सर्वविदित है कि हिन्दी भारत और विश्व मे सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओ में से एक है । हिंदी भाषा में प्रकाशित भारतीय ज्ञान साहित्य ( धर्म, अध्यात्म, दर्शन, तंत्र-मंत्र, ज्योतिष, कर्मकाण्ड आदि) का अनन्त विस्तार कल्पना की सीमा से भी परे है। ऐसे गूढ एवं असीम विषयो को उजागर करना ही हमारा लक्ष्य है। हमारा उद्देश्य मात्र व्यावसायिक न होकर पुस्तकों के माध्यम से भारतीय ज्ञान को अधिकाधिक लोगों तक प्रचारित करना है।
हमारी संस्था द्वारा प्रकाशित भारतीय ज्ञान का यह भंडार – हिन्द महासागर से भी गहन , भारत के भौगोलिक विस्तार से भी अधिक व्यापक, हिमालय के शिखरो से भी ऊंचा एवं ब्रह्म की अवधारणा से भी अधिक सूक्ष्म है। इस पर हमें गर्व है ।